Breaking Newsउत्तरप्रदेश

23 साल बाद आई सत्या जैसी फिल्म ने किया सिनेमा की इमेज बदलने का काम -: सिद्दीकी

खबर वाणी संवाददाता

मुज़फ्फरनगर। बुढ़ाना लीक से अलग हटकर रोल करने के लिए चर्चित हुए मशहूर फिल्म अभिनेता नवाजुद्दीन सिद्दीकी का साफ कहना है कि अभिनेता होने के कुछ नुकसान भी हैं। एक्टर लोगों के लिए आसान टारगेट होते हैं। लोग आसानी से एक्टर्स को बदनाम कर सकते हैं। बीते 5 से 6 महीनों में हमने यही देखा है। हालांकि एक्टिंग का एक फायदा ये भी है कि आप एक साथ कई रोल प्ले करते हैं। एक इंटरव्यू में एक्टर नवाजुद्दीन सिद्दीकी कहा कि एक्टर होने का एक बड़ा फायदा ये है कि आप एक ही जिंदगी में कई लाइफ जीते हैं। आपको कैमरे के सामने सच बोलने का मौका मिलता है। मैं मानता हूं कि हमें यह अवसर मिला है कि हम कैमरे के सामने सच बोल सकें और सच को दिखा सकें। भले ही कोरोना के चलते बीते सन 2020 लोगों के लिए खराब गुजरा हो लेकिन उस साल में उन्होंने कई हिट फिल्में दी हैं। उनकी फिल्में घूमकेतू, रात अकेली है व सीरियसमेन रिलीज हुई हैं। इनमें उनके रोल को लोगों ने खूब सराहा है। यही नहीं रात अकेली है में अपने रोल के लिए उन्हें बेस्ट एक्टर फिल्म फेयर ट्रॉफी भी मिली है। अपने अलग रोल्स को लेकर उन्होंने कहा कि फिल्म इंडस्ट्री अब अलग राह पर है। फिलहाल फिल्म मेकर इंडस्ट्री में कुछ चेंज लाने की कोशिशें कर रहे हैं और अलग तरह के रोल प्ले किए जा रहे हैं। बॉलीवुड में हमेशा से हीरो का रोल स्टीरियोटाइप रहा है लेकिन अब चीजें बदल रही हैं। भविष्य में हीरो को लेकर अभी जो अवधारणा है वह पूरी तरह से खत्म हो सकती है। फिल्म मेकर्स ने पुराने फॉर्म्युले से अलग फिल्में बनाने की कोशिश शुरू की है और हीरो की स्टीरियो टाइप इमेज भी बदल रही है। अब बदलाव का समय आया है। दुनिया भर में लोगों ने लॉकडाउन के दौरान खूब सिनेमा देखा है। ऐसे में लोग नई कहानी और अलग तरह के कैरेक्टर्स की डिमांड कर रहे हैं। यह अच्छी बात है। ओटीटी प्लेटफॉर्म्स के चलते सिनेमा में बदलाव के सवाल पर वे कहते हैं कि ऐसा नहीं है। बीते कई सालों से फिल्म मेकर्स की ओर से बदलाव की कोशिश की जा रही थी। असल बदलाव लोगों तक पहुंच को लेकर हुआ है। इससे लोग एक ही प्लेटफॉर्म पर फिल्में देख सकते हैं। इसके अलावा लोग तुरंत ही फिल्म को लेकर फीडबैक भी दे सकते हैं। वह कहते हैं कि सिनेमा में काफी लंबे समय से बदलाव की कोशिशें चल रही थीं। बीते सन 1998 में आई सत्या और बीते सन 1994 की बैंडिट क्वीन जैसी फिल्मों ने सिनेमा की इमेज को बदलने का काम किया है।

Related Articles

Back to top button