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गाते गीत फाग सब मिलकर जिसको जैसी आती बोली

खबर वाणी संवाददाता

दिल्ली। शुक्रवार (4 मार्च) को महिला काव्य मंच के प्रहरी ग्रुप की मासिक काव्य गोष्ठी रंग फाग के आयोजन किया गया. नरेश नाज़ संस्थापक, मकाम के सान्निध्य और डॉ मधु गुप्ता, अध्यक्ष मकाम अहमदाबाद इकाई, की अध्यक्षता में हुई. कार्यक्रम का संचालन डॉ मेजर प्राची गर्ग संयोजक प्रहरी मकाम ने किया।

कार्यक्रम में अणिमा मंडल, नेहा सिंह, राजेश्वरी देवी, इंदिरा कुमारी, डॉ मीता गुप्ता, डॉ स्वदेश चरौरा, शैलजा सिंह, कर्नल प्रवीण त्रिपाठी, डॉ रचना विमल, अध्यक्ष मकाम दिल्ली इकाई रश्मि, छिकारा अध्यक्ष मकाम गुरुग्राम इकाई, कुमुद वर्मा उपाध्यक्ष मकाम अहमदाबाद इकाई, इरादीप त्रेहान, अध्यक्ष मकाम पंजाब इकाई, मोनिका ठाकुर, विदेश महासचिव मकाम, शालू गुप्ता ट्रस्टी मकाम, नियति गुप्ता, राष्ट्रीय मार्गदर्शक मकाम डॉ मेजर प्राची गर्ग, डॉ मधु गुप्ता, नरेश नाज़ ने विविध विधाओं में काव्य पाठ कर सुंदर रंग बिखेर सभी को मोहित कर दिया।

कार्यक्रम का विधिवत आरंभ मोनिका ठाकुर ने माँ सरस्वती की वंदना हे शारदे माँ अज्ञानता से हमें तार दे माँ और नाज़ सर के आशीर्वचन से हुआ. अणिमा मंडल ने लाल, पीला, नीला, हरा रंग बिखेर काव्य गोष्ठी का आग़ाज़ किया. युगों युगों की प्यासी राजेश्वरी देवी ने फागुन बनकर आ जाओ तुम की कामना की तो शैलजा सिंह को पिया के रंग के सिवा दूसरे रंग की कामना नहीं. वही रश्मि छिकारा की इच्छा है मैं मीरा बन जाऊँ तुम्हारी तुम मेरे मोहन बन जाओ. सतही रंगों को ना छूने वाली कुमुद वर्मा ईश्वरीय रंगों को चुनती हैं हर दिन होली खेलती हैं. इरादीप त्रेहान के फागुन की होलिका में दहन होती है बुराई, हारता है झूठ, पनपती है सच्चाई.
कर्नल प्रवीण त्रिपाठी का फाग देता है संदेश अनूठा पर्व सुहाना होली का, हँसी-खुशी से जुड़ा हुआ संबंध पुराना होली का.

डॉ नीता गुप्ता कहती हैं आज मेरी देह की होली जला दो तो डॉ स्वदेश चरौरा ने कहा युद्ध किसी का हल नहीं. नेहा सिंह ने जीवन के दायरे को साढे 5 इंच मोबाइल और 55 इंच टीवी में अटका हुआ दिखाया तो वही डॉ रचना विमल ने दूरदर्शन पर बसंतोत्सव देख यथार्थ में यूकेलिप्टस पर कोयल और मनीप्लांट में बसंत तलाशते बचपन को चित्रित किया। इंदिरा कुमारी ने अपना स्नेह घोलकर भंग पिला होली को ख़ास बनाते हुए सभी को जोगीरा के रंग में रँग दिया.

मोनिका ठाकुर फागुन हो, गुलाल हो जिंदगी में ख़ूबसूरत धमाल हो, अपनों की चर्चा हो आत्मीयता की वर्षा हो मन में ना हो मलाल ऐसी कामना करती हैं. शालू गुप्ता ने कहा जीने की राह दिखाते हैं यह रंग बहुत कुछ सिखाते हैं. नियति गुप्ता जी ने चाँद को पटल पर उतारकर महफिल में चार चाँद लगा दिए. डॉ मेजर प्राची गर्ग ने ब्रज में राधा-कृष्ण की अद्भुत होली का वर्णन किया तो रूप राशि रसराज की देख भूलकर मान होली खेलन आ गए कैलाशी तज ध्यान.

नरेश नाज़ ने श्रंगार रस में पगी जादूगरनी से कहा “जब मन तब रूठना, जब मन हो नाराज. बिन तेरे इस नाज़ के कौन उठाए नाज” तो फागुन के विभिन्न रंगों में रंगी गोष्ठी में श्रृंगार रस की धारा बह गई.
फाग के रंग की शानदार काव्य गोष्ठी का समापन धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ.

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