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मुस्लिम समुदाय के लोगो ने शब ए बारात के मौके पर अपने घरों में की इबादत,देश मे कोरोना से निजात की मांगी दुवाएँ

खबर वाणी वसीम अहमद

मुजफ्फरनगर। शब ए बरात आज सूर्यास्त के बाद से शुरू हुई। इसे लेकर सभी एदारों की ओर से देशभर में लागू लॉकडाउन का अनुपालन करते हुए घरों में इबादत करने की सभी मुस्लिम धर्मगुरुओं द्वारा अपील की गई है। इस इबादत के साथ कोरोना वायरस जैसी महामारी से निजात और देश की खुशहाली और स्वास्थ्य के लिए दुआएं करने की अपील भी की गई है। एदारों की ओर से कहा गया है कि शब ए बरात की रात मस्जिदों में न जाकर अपने घरों में ही इबादत करें। इसके अलावा शब ए बरात के मौके पर कतई आतिशबाजी ना हो। इसे हराम बताया गया है।

घरों में नमाज अदा करने के बाद कोरोना से निजात के लिए मांगते दुआएं

कहा गया कि लॉकडाउन का अनुपालन करते हुए घरों में नमाज अदा करें। मस्जिदों में न जाएं। क्रब्रिस्तान न जाकर घरों से ही मरहूमों के इसले सवाब के लिए दुआएं पढ़ें। शब ए बारात को लेकर मुस्लिम समुदाय के लोगों ने तैयारियां पूरी कर ली थी। बुधवार व गुरुवार को पूरे दिन लोगों ने घरों की साफ-सफाई की, कई लोगों ने सुबह के समय राशन दुकानों से विशेष पकवानों के लिए सामग्री खरीदा गया। लॉकडाउन की वजह से लोगों को परेशानी हुई, लेकिन कई लोगों ने सामानों की खरीदारी की, छुटकारे की रात है शब ए बरात, अकीदत व एहतेराम से आज मनाएं। अल्लाह ताला का खास करम है कि उसने हमें शबे बरात जैसी नूरानी और मुकद्दस रात से सरफराज फरमाया है। यह रहमत, मगफिरत, जहन्नम से छुटकारा और कबूलियत की रात है। इसमें ज्यादा से ज्यादा तौबाव असत्गफार करें।

नमाज अदा करने के बाद कोरोना से निजात के लिए दुआ मांगते छोटे बच्चे

बहुत सारे लोग इसकी अहमीयत को नहीं समझते और पूरी रात सोकर, खेल तमाशा, आतिशबाजी और फिजुल कार्यों में पूरी रात बर्बाद कर देते हैं जो अफसोस की बात है। शबे बरात वह मुबारक रात है, जिसमें इस साल में पैदा होने वाले और मरने वाले का नाम लिख दिया जाता है। इसी रात को रिज्क तक्सीम होती है। तकदीरें लिखी जाती हैं। इस मुबारक रात में बाद नमाज मगरिब या बाद नमाजे ईशा बेरी ( बैर) के पत्ते से जोश दिए हुए पानी से गुसल कर लें फिर अतर की खुशबू का इस्तेमाल करके तन्हाई में बैठ कर अपने घर में  इबादत और तेलावत करें। इससे हर बला व मुसीबत से निजात मिलती है। हदीसे पाक में  आया  कि शाबान की पंद्रहवीं रात जो शब ए बरात है इसमें जो शख्स इबादत करेगा उसे अल्लाह ताला जहन्नम से  आजादी का परवाना अता फरमाता है, यह रात बख्शीश की रात है।

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