बैंको में केवल ज्यादा आवश्यक हो तभी जाय,भीड़ न लगाएं:विक्रम सिंह
जो राशन डीलर राशन जरूरतमंद को राशन नही देगा तो उस पर होगी कार्यवाही,यदि कोई राशन डीलर राशन कम देगा या ना दे तो सीधा मुझे करे फोन :- विक्रम सिंह सैनी

खबर वाणी वसीम अहमद
लोग घरो में रहे ,सोशल डिस्टेंस का पालन करें
मुजफ्फरनगर। खतौली के भाजपा विधायक विक्रम सिंह सैनी ने अपने शहर व देशवासियो से अपील करते हुए जानकारी दी कि देश में कोरोना वायरस का संक्रमण लगातार बढ़ रहा है. कोरोना वायरस के संक्रमण के बढ़ते खतरे को देखते हुए दिल्ली, उत्तर प्रदेश, राजस्थान समेत देश के कई राज्यों में लॉकडाउन जारी है. लॉकडाउन के बाद भी लोग अपने घरों से निकल रहे हैं, ये बहुत ही चिंता का विषय है ।ऐसे में विभिन्न शहरों में प्रशासन ने भी सख्त कदम भी उठाए हैं। कुछ शहरों में ऐसी धारा लगाई गईं हैं जिन्हें तोड़कर लॉकडाउन में बिना वजह बाहर निकलने पर आप पर कार्रवाई भी हो सकती है. इन धारा के तहत आपको छह महीने के लिए जेल भेजा जा सकता है।
लॉकडाउन की स्थिति को भी लोगों द्वारा गंभीरता से नहीं लेने पर प्रधानमंत्री ने नाराजगी जताई थी. उन्होंने ट्वीट करके राज्य सरकारों से लॉक डाउन को सख्ती से लागू करने को कहा है। प्रधानमंत्री ने ट्वीट में लिखा था कि लॉकडाउन को अभी भी कई लोग गंभीरता से नहीं ले रहे हैं। उन्होंने कहा, “कृपा करके अपने आप को बचाएं, अपने परिवार को बचाएं, निर्देशों का गंभीरता से पालन करें. राज्य सरकारों से मेरा अनुरोध है कि वह नियमों और कानूनों का पालन करवाए।
कई जगहों पर बढ़ती भीड़ के बाद मुजफरनगर एसएसपी ने कहा है कि जो लोग प्रशासन के लॉकडाउन के निर्देश का पालन नहीं करेंगे उनके खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 188 के तहत कार्रवाई की जाएगी. धारा 188 के तहत तब कार्रवाई तब की जाती है जब प्रशासन कोई जरूरी आदेश जारी करता है और उसका पालन नहीं किया जाता। सेक्शन 188 को न मानने वालों पर एक माह के साधारण कारावास या जुर्माना या जुर्माने के साथ कारावास की सजा दोनों हो सकते हैं।
अगर सेक्शन 188 का उल्लंघन मानव जीवन, स्वास्थ्य या सुरक्षा के लिए खतरे का कारण बनती है, या दंगे का कारण बनती है, तब यह सजा छह महीने का कारावास या निर्धारित जुर्माना हो सकती है. इसमें दोनों सजा एक साथ भी हो सकती है. इसमें आरोपी का नुकसान पहुंचाने का इरादा या नुकसान की संभावना के रूप में उसकी अवज्ञा पर विचार किया जाता है। अगर ये अवज्ञा मानव जीवन, स्वास्थ्य या सुरक्षा के लिए खतरे का कारण बनती है, या दंगे का कारण बनती है. तब ये सजा छह महीने के कारावास या निर्धारित जुर्माना हो सकती है. या दोनों चीजें एक साथ हो सकती हैं. इसमें ये जरूर देखा जाता है कि कहीं आरोपी का नुकसान पहुंचाने का इरादा तो नहीं था या नुकसान की संभावना के रूप में उसकी अवज्ञा पर विचार किया जाता है.