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नामचीन पीर खुशहाल के चिल्लागाह पर चला प्रशासन का बुलडोजर

खबर वाणी भगत सिंह

मुजफ्फरनगर। जिला प्रशासन में कई वर्षों से वन विभाग की जमीन पर अवैध रूप से कब्जा कर किले का निर्माण करने वाले नामचीन पीर खुशहाल के किले पर भारी पुलिस फोर्स के साथ जिला प्रशासन द्वारा बुलडोजर चलाकर अवैध निर्माण को धवस्त करने की कार्यवाही की गई है। पीर खुशहाल नाम के व्यक्ति ने 1964 में वन विभाग की लगभग 100 बीघा ज़मीन को लीज पर लिया था समय के साथ साथ पीर खुशहाल ने उसी ज़मीन पर अवैध निर्माण करते हुए मज़्जिद और एक किले का भी निर्माण किया था। जिसमे सैकड़ो से ज्यादा कमरे बनाये गए थे साथ ही किले की निगरानी के लिए CCTV कैमरे और सैकड़ो की संख्या में सुरक्षाकर्मी भी तैनात किये गए थे।

पीर ख़ुशहाल के इस तिलस्मी किले को आज तक कोई भेद नहीं पाया था गौरतलब है कि मार्च सन 2009 को सीबीआई ने पीर खुशहाल व उसकी पत्नी को गाज़ियाबाद से फेमा के उलंघन के तहत गिरफ्तार किया था। बसपा की सरकार थी 7अप्रेल 2009 को मुख्यमंत्री मायावती के विशेष सचिव कुँवर फतेह बहादुर व डी जी पी कर्मवीर सिंह आये थे मु नगर और पत्रकारों के द्वारा पीर खुशहाल के बारे में पूछने पर तत्कालीन सीडीओ रविन्द्र गोडबोले, SP सिटी राजीव मल्होत्रा को मोके पर भेज कर कार्यवाही का आश्वासन दिया गया था लेकिन सपा और बसपा की सरकार में पीर खुशहाल के खिलाफ कार्यवाही सिर्फ कागजो पर की गई। लेकिन सत्ता परिवर्तन के बाद भाजपा के कार्यकाल में एक बार फिर जिला प्रशासन ने भारी पुलिस फाॅर्स के साथ बिहारगढ़ किले पर पहुंची और पीर खुशहाल के साम्राज्य को नेस्तनाबूत करने का बीड़ा उठाया।

यहां अपर जिलाधिकारी  प्रशासन अमित सिह ने जानकारी देते हुए बताया कि डीएफओ द्वारा अवगत कराया गया था कि बिहारगढ़ का प्रकरण है, जिसमे वन विभाग की जमीन की लीज ख़तम हो गई थी, माननीय उच्च न्यायालय का निर्णय भी वन विभाग के फेवर में आया था, इसके आलावा हाई कोर्ट और शासन भी इसकी समीक्षा करता है। इसमें निष्तारण के लिए आदेश दिए जाते है जिसमे माननीय उच्च नयायलय में आदेशों का अनुपालन करते हुए उसी क्रम में अवगत कराया गया था।

इनकी लीज समाप्त हो चुकी थी इनको दो बार नोटिस भी भेजा गया है। लेकिन नोटिस के बाद भी इसको खाली नहीं कराया गया। वन विभाग ने वँहा पर अपना बोर्ड भी लगाया था डीएफओ साहब की टीम द्वारा पुलिस प्रशासन के साथ मिलकर वहा पर कब्ज़ा मुक्त कराने की कार्यवाही गई है। यह ज़मीन लगभग 100 बीघा के आस पास बताई जा रही है उसपर कुछ निर्माण किया हुआ है जिसे घ्वस्त किया जा रहा है ये ज़मीन शासन की तरफ से 30 साल पहले लीज पर दी गई थी।

इसकी लीज दो बार समाप्त भी हो चुकी है डीएफओ साहब ने बताया था कि लास्ट आदेश हाई कोर्ट का था, उसके बाद दो नोटिस भी जारी किए गए थे। जिनका इस जमीन पर कब्जा था वे पीर खुशहाल है जिनको लीज पर जमीन दी गई थी। इस ज़मीन पर आवास बने हुए है कुछ बैरक बने हुए है, मस्जिद बनी हुई है। बैरक खाली थे उन्हें ध्वस्त किया जा रहा है। पीर खुशाल ने ना सिर्फ मुस्लिम समाज के लोगो को गुमराह किया बल्कि विदेशो से होने वाली फंडिंग का इस्तमाल सरकारी जमीन पर अवैध निर्माण पर भी किया। पीर खुशहाल ने तीन महिलाओ से शादी की जिसमे एक पाकिस्तान से है और एक अफगानिस्तान की महिला है।

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