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बंद हो जाएगी पेटीएम, स्नैपडील और जोमैटो जैसी 92 कंपनियां?

भारतीय कंपनियों में निवेश कर मोटा मुनाफा कमा रही हैं चीनी कंपनियां

खबर वाणी डेस्क

दिल्ली : भारत-चाइना के बीच गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प के बाद देश का हरेक नागरिक बेहद आक्रोश में है। हर तरफ चीन के खिलाफ भारी प्रदर्शन हो रहा है। कहीं देश का नागरिक अपने घरों और दुकानों में रखें चीनी समानो में आग लगा रहे है, तो कहीं चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग का पुतला और फोटो फुंका जा रहा है।

इसी कड़ी में सोमवार देर शाम भारत सरकार द्वारा 59 चाइनीज मोबाइल एप्लीकेशन को भारत में बैन कर दिया गया। लेकिन क्या आप जानते है? भारत की कई प्रमुख कंपनियों में चीन की काफी हद तक हिस्सेदारी है। इनमें Paytm, Paytmall, Flipkart, Snapdeal, Bigbasket, Delhivery, Ola, Oyo, Swiggy, Zomato, Policy bazaar, udaan, Rivigo , Dream11 जैसी तमाम 92 कंपनियां शामिल है। जिसमें चीनी निवेश शामिल है।

कई मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार भारत में चीन का कुल निवेश करीब 6.2 अरब डॉलर लगा हुआ है। जबकि पेटीएम का 40% शेयर अलीबाबा के पास है। एक तरफ देश की सरकार चीनी सामानों पर रोक लगाने की बात कह रही है। वहीं दूसरी तरफ भारतीय कंपनी में किए गए चीनी निवेश से चीन को फायदा पहुंच रहा है।

ग्लोबल डाटा के आर्थिक मामलों के आंकड़े और विश्लेषण के अनुसार देश के प्रमुख 24 में से 17 स्टार्टअप में चीन की कंपनियों के साथ ही कॉरपोरेट निवेश आया है। निवेश करने वाली चीन की कंपनियों में अलीबाबा और टेनसेंट प्रमुख हैं। ये स्टार्टअप एक अरब डॉलर या उससे अधिक बाजार मूल्य वाले हैं। अलीबाबा और उसकी सहयोगी एंट फाइनेंसियल ने भारत के चार प्रमुख स्टार्टअप (पेटीएम, स्नैपडील, बिगबास्केट और जोमैटो) में 2.6 अरब (लगभग 18 हजार करोड़ रुपये) का निवेश किया है। जबकि, टेनसेंट और अन्य चीनी कंपनियों ने पांच प्रमुख स्टार्टअप (ओला, स्वैगी, हाइक, ड्रीम11 और बायजूस) में 2.4 अरब डॉलर (लगभग 17 हजार करोड़ रुपये) का निवेश किया है।

तो क्या केंद्र सरकार को भारत में जिन 92 कंपनियों में चीनी निवेश हुआ है उन कंपनियों को बंद या यूं कहें कि चीन के साथ हुई हिस्सेदारी को खत्म नहीं कर देना चाहिए? एक तरफ देश की जनता और सरकार चीन का खुलकर विरोध कर रही है। वहीं दूसरी तरफ चीनी कंपनियां भारतीय कंपनियों में निवेश करके मोटा मुनाफा कमा रही। बड़ा सवाल यह खड़ा होता है कि अब क्या केंद्र सरकार भारतीय कंपनियों में लगे चीनी निवेश को रोक देगी। या फिर चीन ऐसे ही भारतीय बाजार से मोटा मुनाफा कमाते रहेंगे।

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