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पश्चिमी उत्तर प्रदेश में आलू की फसल में पिछेता झुलसा बीमारी के प्रकट होने के पूर्वानुमान : जिला उद्यान अधिकारी

एक ही फफूंदनाशक का बार-बार छिड़काव ना करें : निधि जिला उद्यान अधिकारी

खबर वाणी संवाददाता

ग़ाज़ियाबाद। जिला उद्यान अधिकारी निधि जानकारी देते हुए बताया है कि जिन किसान भाईयों ने आलू की फसल में अभी तक फफूंदनाशक दवा का पर्णीय छिड़काव नहीं किया है या जिनकी आलू की फसल में अभी पिछेता झुलसा बीमारी प्रकट नहीं हुई है, उन सभी किसान भाईयों को यह सलाह दी जाती है कि वे मैन्कोजेब / प्रोपीनेब / क्लोरोथेलोंनील युक्त फफूंदनाशक दवा का रोग सुग्राही किस्मों पर 0.2- 0.25 प्रतिशत की दर से अर्थात् 2.0 – 2.5 किलोग्राम दवा 1000 लीटर पानी में घोलकर प्रति हैक्टेयर छिड़काव तुरन्त करें।

साथ ही साथ यह भी सलाह दी जाती है कि जिन खेतों में बीमारी प्रकट हो चुकी हो उनमें किसी भी फफूंदनाशक साईमोक्सेनिल + मैन्कोजेब का 3.0 किलोग्राम प्रति हैक्टेयर ( 1000 लीटर पानी ) की दर से अथवा फेनोमिडोन + मैन्कोजेब का 3.0 किलोग्राम प्रति हैक्टेयर ( 1000 लीटर पानी ) की दर से अथवा डाईमेथोमार्फ 1.0 किग्रा. + मैन्कोजेब 2.0 किग्रा. ( कुल मिश्रण 3.0 किग्रा. ) प्रति हैक्टेयर ( 1000 लीटर पानी ) की दर से छिड़काव करें।

उन्होंने आगे भी यह अपील की है कि फफूंदनाशक को दस दिन के अन्तराल पर दोहराया जा सकता है। लेकिन बीमारी की तीव्रता के आधार पर इस अन्तराल को घटाया या बढ़ाया जा सकता है। किसान भाइयों को इस बात का भी ध्यान रखना होगा कि एक ही फफूंदनाशक का बार – बार छिड़काव ना करें।

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