गाज़ियाबाद : RTI का नहीं मिला जवाब, अब लगाएंगे मुख्य सूचना आयुक्त से गुहार
खबर वाणी संवाददाता
ग़ाज़ियाबाद। ट्रांस हिंडन : एक तरफ यूपी के मुखिया प्रदेश में सख्त शासन-प्रशासन की बात करते है, वहीं दूसरी तरफ उनके इन दावों पर प्रदेश के कुछ अधिकारी पलीता लगा रहे है। ऐसा लगता है कि इन अधिकारियों ने सरकार की साफ नियत और ईमानदार छवि को धूमिल करने का मूड बना रखा है। इन अधिकारियों में सरकार की सख्त कार्यवाही का जरा भी खौफ नहीं है। हम ये बात इसलिए कह रहे है क्योंकि ऐसा ही एक लापरवाही का मामला गाज़ियाबाद की खोड़ा नगरपालिका परिषद से सामने आया है। जहां जनसूचना अधिकारी पर आरटीआई में पूछे गए सवालों के अपूर्ण व भ्रामक सूचना प्रेषित करने का आरोप लगा है।
दरअसल 9 सितंबर को खोड़ा कॉलोनी निवासी राहुल शुक्ला नामक युवक ने खोड़ा नगरपालिका परिषद से आरटीआई के जरिए कुछ जवाब मांगे थे, जिसका जवाब खोड़ा नगरपालिका परिषद ने नहीं दिया था। जिसके बाद आरटीआई याचिकाकर्ता ने 15 अक्टूबर को प्रथम अपील के तहत गाज़ियाबाद जिलाधिकारी, अजय शंकर पाण्डेय व नगर विकास विभाग, प्रमुख सचिव, दीपक कुमार से खोड़ा नगरपालिका परिषद, जनसूचना अधिकारी से आरटीआई का जवाब देने के लिए आदेशित करने की अपील की थी।
जिसके कुछ दिन बाद ही आनन-फानन में खोड़ा नगर पालिका परिषद ने बेहद चतुराई दिखाते हुए याचिकाकर्ता के निवास स्थान पर स्वयं अपने कर्मचारी को भेज कर अपूर्ण एवं भ्रामक सूचना प्रेषित किया था।
जिससे असंतुष्ट आरटीआई याचिकाकर्ता ने दोबारा, 9 नवंबर को गाज़ियाबाद जिलाधिकारी, व नगर विकास विभाग, प्रमुख सचिव से जनसूचना अधिकारी से सही जवाब देने के लिए आदेशित करने का पुनः निवेदन किया था।
याचिकाकर्ता ने निवेदन करते हुए कहा कि जो सवाल आरटीआई में पूछे गए हैं। वह बेहद खुले प्रकार की सूचना व सरकारी रिकॉर्ड से संबंधित सवाल हैं। बावजूद इसके जनसूचना अधिकारी ने आरटीआई में पूछे गए सवालों के जवाब अपूर्ण एवं भ्रामक तौर पर प्रेषित किए है। याचिकाकर्ता ने जिलाधिकारी गाजियाबाद और नगर विकास विभाग, प्रमुख सचिव से ये भी कहा कि खोड़ा नगर पालिका परिषद, जनसूचना अधिकारी, आरटीआई को लेकर जरा भी गंभीर नहीं है। एक तो उन्होंने तय समय सीमा के अतंर्गत सवालों के जवाब नहीं दिए, उपर से उन्होंने खुद नगर पालिका कर्मचारी को याचिकाकर्ता के निवास स्थान पर भेज कर आरटीआई का जवाब पहुंचाया। जिसमें लिखा हुआ था कि महोदय, तय समय सीमा को ध्यान में रखते हुए मेरे द्वारा 3 अक्टूबर को साधारण डाक से जवाब भेज दिया गया था।
इन सबके बीच अब बड़ा सवाल ये खड़ा होता है कि आखिरकार जनसूचना अधिकारी ने याचिकाकर्ता द्वारा पूछे गए सवालों को साधारण डाक से क्यों भेजा। साधारण डाक से भेजने का क्या कोई औचित्य बनता है? याचिकाकर्ता ने जिलाधिकारी व प्रमुख सचिव से कहा की जन सूचना अधिकारी ने खुले तौर पर आरटीआई के नियमों का उल्लंघन किया है। जिसको देखते हुए जन सूचना अधिकारी पर ठोस कार्यवाही की जाए।
● RTI में पूछे गये थे ये सवाल
● याचिकाकर्ता करते रहे उच्च अधिकारियों से निवेदन, फिर भी नहीं मिला जवाब
याचिकाकर्ता राहुल शुक्ला ने बताया कि वे पेशे से पत्रकार है, सामाजिक गतिवधियों को लोगो तक पहुंचना उनका नैतिक कार्य है। इसको ध्यान में रखते हुए उन्होंने खोड़ा नगरपालिका परिषद में आरटीआई लगाई थी। जिसका जवाब नगरपालिका परिषद ने अपूर्ण एवं भ्रामक तरीके से प्रेषित किया। जिसके बाद याचिकाकर्ता ने प्रशासन की राजशाही गद्दी पर बैठे उच्च अधिकारियों से सही जवाब देने के लिए निवेदन किया था, बावजूद इसके, या तो इस निवेदन का अधिकारियों पर कोई फ़र्क नहीं पड़ा, या फिर खोड़ा नगरपालिका जनसूचना अधिकारी अपने आगे किसी भी अधिकारियों की सुनना ही नहीं चाहते है।
अधिशासी अधिकारी : दोबारा आरटीआई दायर करें असंतुष्ट याचिकाकर्ता
अधिशासी अधिकारी के अनुसार उनके द्वारा याचिकाकर्ता को आरटीआई का जवाब दे दिया गया है। अब याचिकाकर्ता उनके जवाब से असंतुष्ट हैं तो वे कुछ नहीं कर सकते। इसके साथ ही अधिशासी अधिकारी ने कहा कि अगर याचिकाकर्ता को सवालों के जवाब चाहिए तो वह दोबारा नगर पालिका परिषद में आरटीआई याचिका दायर कर सकते हैं।