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खस्ताहाल मकानों की गूंज पहुंची मुख्यमंत्री के दरबार, इन मकानों को देखकर चौंकिए मत जनाब

पवन अरोड़ा

गाजियाबाद। खस्ता हाल मकानों को देखकर चौंकिए मत यह नजारा है जीडीए गाजियाबाद द्वारा लगभग 10 वर्ष पूर्व निर्मित उस कर्पूरी पुरम योजना का जिसमें पूर्व अधिकारियों की धांधलियों को छिपाने के लिए जिन्हें आनन फांनन में नीलामी के माध्यम से बेच कर भ्रष्टाचार को दफन किए जाने का काम किया जा रहा है।

गाजियाबाद विकास प्राधिकरण द्वारा लगभग अब से 10 वर्ष पहले अपने स्टाफ को स्टाफ क्वार्टर मुहईया कराने के लिए लगभग 200 डुप्लेक्स भवनों का निर्माण किया गया था। जो न सिर्फ घटिया सामग्री लगाने के कारण जर्जर हालत में पहुंच गए सूत्रों के मुताबिक तो सुविधा शुल्क न मिलने के कारण पात्र कर्मचारियों को आवंटित भी नहीं किए गए। जो रख रखाव के अभाव में ऐसी स्थिति में पहुंच गए हैं कि मुरादनगर हादसे की कभी भी पुनरावृत्ति हो सकती है।

गौरतलब है, कि इन भवनों में घटिया सामग्री से निर्माण एवं भ्रष्टाचार को दबाने और भ्रष्टाचारियों को बचाने के नीलामी के माध्यम से इन भवनों को बेचने की शिकायत इससे पूर्व में प्रमुख सचिव आवास एवं शहरी नियोजन को भी असंगठित आवाज के पत्र के माध्यम से की गई थी लेकिन लगभग 01 माह बाद भी इस दिशा में कोई कार्रवाई नहीं हुई है, और शासन तथा प्रशासन मुरादनगर शमशान घाट जैसे एक और हादसे का इंतजार कर रहा है।

मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश सरकार एवं आवास एवं शहरी नियोजन विभाग के भार साधक मंत्री भी हैं। अपनी जीरो टॉलरेंस नीति के तहत कठोरतम कार्यवाही करते हुए इन भवनों के निर्माण के उद्देश्य, घटिया सामग्री, और निर्मित होने के 10 साल बाद तक भी पात्र स्टाफ को आवंटित नहीं किए जाने के कारणों की जांच कराने का कष्ट करेंगे।

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