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इलैक्टिड और स्लैक्टिड के गठजोड़ का परिणाम है शमशान घाट हादसा

राजीव कुमार शर्मा/मानव अधिकार पक्षकार

ग़ाज़ियाबाद। हमारे देश मे ग्राम प्रधान से लेकर प्रधान मंत्री तक एक व्यवस्था है जिसमे एक जनता का चुना हुआ प्रतिनिधि और एक सरकार का नियुक्त किया हुआ प्रतिनिधि यानी कि एक इलकटिड और एक स्लक्टिड समानांतर रूप से कार्य करते है, जैसे की
ग्राम प्रधान / ग्राम सचिव,ब्लाक प्रमुख / खण्ड विकास अधिकारी नगर पालिका चेयरमैन /कार्य पालक अधिकारी, मेयर /नगर आयुक्त, जिला पंचायत अध्यक्ष / जिला अधिकारी सम्बंधित विभाग का मंत्री / सम्बंधित विभाग का प्रमुख सचिव प्रदेश का मुख्यमंत्री / प्रदेश का मुख्य सचिव प्रधान मंत्री, प्रधान सचिव और ये व्यवस्था इसलिए बनाई गयी है कि अगर जनता का चुना हुआ जन प्रतिनिधि विधि विरुद्ध जाकर जन हित अथवा राष्ट्रहित के खिलाफ कोई भी कार्य करे तो सरकार का प्रतिनिधि उस पर लगाम लगाए और अगर सरकार का प्रतिनिधि कोई विधि विरुद्ध जाकर राष्ट्रहित अथवा जनहित के विरुद्ध कोई भी कार्य करे तो जन प्रतिनिधि उस पर लगाम लगाए।

जब तक जनता का चुना हुआ प्रतिनिधि और सरकार का नियुक्त किया गया प्रतिनिधि एक राय होकर / गठजोड़ कर अपने निजी स्वार्थ की पूर्ति करने के लिये विधि विरुद्ध जाकर जनहित अथवा राष्ट्रहित के खिलाफ कार्य करने के लिए भ्र्ष्टाचार की गंगा में डुबकी लगाकर अपने कर्तव्य से विमुख होते रहेंगे तब तक देश मे ना ही तो भ्रस्टाचार समाप्त होगा और ना ही मुरादनगर शमशान घाट जैसे हादसे रुकेंगे।

इसीलिए इस तरह की किसी भी घटना पर अगर सरकार द्वारा नियुक्त प्रतिनिधि पर कोई आपराधिक मुकदमा दर्ज कर जेल भेजा जाए तो उसी के समकक्ष जन प्रतिनिधि पर भी उसी के साथ मुकदमा दर्ज कर उसी के साथ जेल भेजा जाना चाहिए।
क्योंकि जब सरकार द्वारा नियुक्त प्रतिनिधि गलत कर रहा था तो जन प्रतिनिधि क्यों मौन था ?

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