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क्या खाक दिये जलाएंगे…??, झूठे दावों की खुली पोल, प्रशासनिक भवन अंधकारमय

मोरना खण्ड विकास कार्यालय परिसर में नहीं है रात में प्रकाश की व्यवस्था, अंधेरे में होती है महत्वपूर्ण कागजात की पहरेदारी

काज़ी अमजद अली

मुज़फ्फरनगर। प्रशासनिक भवन की कल्पना करते ही क्यूं लापरवाही व भ्रष्टाचार की तस्वीरें उभर आती हैं। इसका कारण स्वयं प्रशासनिक व्यवस्था ही है। दिन के उजाले में भ्रष्टाचार का काला साया क्या कम था जो अब रात में भी अंधेरों की चादर तान दी गयी है। महत्वपूर्ण सरकारी दस्तावेज के रिकॉर्ड रूम व अधिकारियों की कार्यस्थली खण्ड विकास अधिकारी कार्यालय परिसर में रात में छाया अंधेरा प्रशासनिक व्यवस्थाओं की पोल तो खोल ही रहा है। साथ ही सुरक्षा पर भी सवाल खडे कर रहा है।

प्रकाश के नाम पर अपनी कलम से लाखों के बिल बनाने वालों के दफ्तरों की ही रात में उजियारा नसीब नहीं है। समाजसेवी अनिल कश्यप ने रात में प्रकाश की व्यवस्था को गम्भीरता से न लेने वाले लापरवाह कर्मचारियों व अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।

मुज़फ्फरनगर ज़िले के मोरना स्थित खण्ड विकास कार्यालय प्रशासनिक व्यवस्थाओं का केन्द्र है। जहां आज के आधुनिक दौर में भी रात के समय अंधेरा छाया रहता है।

सोमवार की शाम समाजसेवी अनिल कश्यप, रजत, प्रवीण, अरूण पाल सहित दर्जनों युवक पुलवामा के शहीदों को श्रद्धांजलि देने खण्ड विकास कार्यालय परिसर में बने स्मृति चबूतरे पर पहुंचे तो पूरे ब्लॉक परिसर में अंधेरा कायम था। ब्लॉक परिसर में सोलर लाईटें भी लगी हुई हैं जो खराब पडी हैं। प्रशासनिक भवन पर छाये अंधेरे को लेकर युवकों ने भारी रोष प्रकट किया।

अब प्रश्न उठता है कि खण्ड विकास कार्यालय में अनेक विभागों के आधा दर्जन सहायक खण्ड विकास अधिकारियों के कार्यालय सहित अन्य कार्यालयों में महत्वपूर्ण दस्तावेज भवन में मौजूद हैं। इसके बावजूद रात में प्रकाश व्यवस्था की लापरवाही कर्मचारियों व अधिकारियों की मानसिकता का परिचय दे रही है।

साथ ही कार्यस्थली के प्रति संवेदनशील व गम्भीर न होना भी कार्य के प्रति निष्ठा की कमी को दर्शाता है। समाजसेवी अनिल कश्यप ने बीडीओ कार्यालय पर छाए अंधेरे को लेकर नाराजगी जताते हुए बताया कि कार्यालय से 50 से अधिक गांवों के विकास कार्यों का संचालन होता है।

इसके अलावा बराबर में ही पशु चिकित्सालय, कृषि कार्यालय भी मौजूद हैं किन्तु चारों ओर अंधेरा छाया हुआ है जो सरकारी तंत्र की बडी लापरवाही है, जिसके सम्बंध में उच्चाधिकारियों से बात की जाएगी।

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