अब भूमाफियो की खैर नही धरा नाम से ऐंटी भूमाफिया ऐप हुआ लॉन्च,जिला प्रशासन के साथ पुलिस भी रख सकेगी नजर
खबर वाणी संवाददाता
मुज़फ्फरनगर। एन्टी भूमाफियाओं के विरुद्ध प्रदेश का पहला धरा नाम का ऐप मुज़फ्फरनगर में जिलाधिकारी सेल्वा कुमारी जे ने लॉन्च कर दिया है अब जिला प्रशासनिक अधिकारीयों से लेकर पुलिस अधिकारी भी इस ऐप के जरिये ऐंटी भू माफियों पर रख सकेंगे नजर, जिलाधिकारी ने बताया की इस ऐप के माध्यम से शासकीय व ग्राम सभा की जमीन की ऐप के जरिये निगरानी की जा सकेगी। उन्होंने बताया की पुलिस को भी होगा जमीन संबंधित शिकायतों में लांच हुए ऐप का लाभ धरा ऐप में तहसील से उपलब्ध राजस्व ग्रामो के डिजिटल नक्शे को भी इस सॉफ्टवेयर में डाला जाएगा। धरा ऐप के जरिये सरकारी भूमि पर किये जाने वाले बैनामो पर भी रोक लगेगी जिलाधिकारी सेल्वा कुमारी जे ने प्रेस वार्ता कर ऐप के बारे में जानकारी दी।
धरा एप्प की प्रेसवार्ता में जिलाधिकारी सेल्वा कुमारी जे, एडीएम प्रशासन अमित कुमार सिंह,एडीएम फाइनेंस आलोक कुमार,एमडीए सचिव महेंद्र कुमार,सिटी मजिस्ट्रेट अभिषेक कुमार सिंह सहित कई प्रशासनिक अधिकारी मौजूद रहे। प्रदेश के प्रथम एंटी भू-माफिया साॅफ्टवेयर ‘धरा’ को जिलाधिकारी द्वारा आज लांच किया गया।
इस ऐप के जरिये सरकारी भूमि के सम्बन्ध में होने वाले फर्जी हस्तान्तरण को रोकने हेतु सीमित सरकारी डाटा को जनसामान्य हेतु (1 कि0मी0 की परीधि के अन्दर) देखने का विकल्प होगा। साफ्टवेयर के अन्दर ग्रामसभा, सरकारी विभागों की भूमियों एवं विकास प्राधिकरण व नगर पालिका एवं नगर पंचायत सीमा के अन्दर स्थित भूमिया का विवरण रहेगा। भविष्य में पोर्टल पर निजी भूमियों के सम्बन्ध में चलने वाले विवादों का विवरण भी जन सामान्य के लिये उपलब्ध कराया जायेगा। प्रदेश में चल रहे एंटी भू-माफिया अभियान के अन्तर्गत भू-माफियाओ पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से जिलाधिकारी सेल्वा कुमारी जे ने कलेक्ट्रेट सभागार में प्रदेश का प्रथम एंन्टी भू माफिया साॅफ्टवेयर ‘धरा’ को लांच किया।
उन्होने बताया कि यह प्रयास एंटी भू-माफिया सम्बन्धित वर्तमान में किये जा रहे सभी प्रयासों को जियो फैसिंग तथा मल्टीपल ओवर ले माध्यम से वैब एप्लीकेशन तथा ऐप फोर मेट पर आनलाईन किये जाने हेतु किया गया है। इस के माध्यम से राजस्व विभाग द्वारा किये जा रहे भू-माफिया के विरूद्ध प्रयासों को प्रभावी रूप से किये जाने की मदद मिलेगी। साथ ही राजस्व अभिलेखों में किये जाने वाले फ्रोड (धोखाधडी) तथा फर्जी बैनामों के कारण उत्पन्न होने वाले अनावश्यक विवाद के सम्बन्ध में प्रभावी कार्यवाही किये जाने में मदद मिलेगी।
जिलाधिकारी ने कहा कि इस साफ्टवेयर की आवश्यकता इसलिए अधिक महत्पूर्ण है क्योंकि ग्रामसभा की भूमियों एवं अन्य शासकीय विभागो की भूमियों का डाटा बेस खतौनियों में है किन्तु एक स्थान पर डेटा बेस के रूप में नही है। विकास प्राधिकरण की भूमियों एवं नगर पंचायत की सीमा के अन्दर स्थित सरकारी भूमियो का भी संयुक्त रूप से कोई डेटा बेस नही है अतिक्रमण मुक्त करायी गयी भूमियों का डेटा बेस केन्द्रीयकृत रूप में नही है जिसके कारण प्रशासन एवं पुलिस के पास रेडी रिफरेन्स नही रहता है।
इससे ग्राम सभा की भूमियों के अन्तरण पर रोक लगेगी और ग्राम सभा की भूमियों के विक्रय पर भी रोक लगेगी ग्रामसभा की भूमि व अन्य शासकीय विभागों की भूमियों की सुरक्षा रहेगी। जिलाधिकारी ने कहा कि इस साफ्टवेयर के अन्दर ग्रामसभा, सरकारी विभागों की भूमियों एवं विकास प्राधिकरण व नगर पालिका एवं नगर पंचायत सीमा के अन्दर स्थित भूमियों का विवरण रहेगा।
ग्रामसभा की भूमियों के अन्र्तगत सार्वजनिक उपयोग की भूमियां यथा तालाब, चारागाह, खेत खलिहान, खाद् के गडढे, कब्रिस्तान, मरघट, हडवार इत्यादि सम्मिलित है। सरकारी विभागों की भूमियों के अन्तर्गत लोक निर्माण विभाग, सिंचाई विभाग, वन विभाग, शिक्षा विभाग, सहकारी समितियों की भूमियां आती है। विकास प्राधिकरण की भूमियों के अन्तर्गत महायोजना प्लान के तहत ग्रीन बैल्ट भूमि आती है। नगर पालिका एवं नगर पंचायत की सीमा के अन्दर तालाब, मन्दिर, मरघट, कब्रिस्तान, शत्रु सम्पत्ति इत्यादि भूमि आती है।
उन्होने बताया कि धरा साफ्टवेयर की मुख्य विशेषतायें यह है कि इसमें ग्रामसभा, शासकीय भूमि एवं विकास प्राधिकरण की भूमि का मैप के माध्यम से अथवा मौके पर जाकर मैपिंग की जा सकेगी। सोफ्टवेयर में विभिन्न ग्र्राम सभा एवं शासकीय भूमि के कलर कोड भी दिये गये है ताकि ग्राम सभा एवं शासकीय भूमियों की विभिन्न श्रेणियों की पहचान की जा सके। इसमे मैपिंग के उपरान्त भूमि का अक्षांश एवं देशान्तर, क्षेत्रफल, कलर कोड एवं समुद्र तल से ऊंचाई इत्यादि विवरण सुरक्षित रहेगे सोफ्टवेयर में सर्किल रेट मैपिंग का भी प्रवधान रखा गया है। जिलाधिकारी ने कहा कि इसके माध्यम से सरकारी भूमि के सम्बन्ध में होने वाले फर्जी हस्तान्तरण को रोकने हेतु सीमित सरकारी डाटा को जनसामान्य हेतु (1 कि0मी0 की परीधि के अन्दर) देखने का विकल्प होगा। राजस्व विभाग की उपलब्ध कम्प्यूटराईज खतौनी में उल्लेखित खसरा संख्याओं के सम्बन्ध में विभिन्न फील्ड दिये जायेगें।
जिसमें खसरा संख्याओं के सम्बन्ध में अतिक्रमणकर्ता का नाम, सिविल/क्रिमिनल केस की स्थिति आदि उपलब्ध रहेगें। इसके माध्यम से तहसील में उपलब्ध राजस्व ग्रामों के डिजीटाईजड नक्शे को भी इस सोफ्टवेयर पर लाया जायेगा। जिससे नक्शे पर सडक आदि को मार्क करने में मदद मिलेगी जिले के मास्टर प्लान को भी पोर्टल पर डाला जायेगा, जिससे जन सामान्य को मास्टर प्लान में उपलब्ध ग्रीन बैल्ट तथा अन्य भूमियों की जानकारी उपलब्ध हो सकेगी। पोर्टल पर जनसमान्य हेतु जनपद में स्थित भूमियों के स्टाम्प रेट का विवरण भी उपलब्ध रहेगा निबन्धक विभाग के अधिकारियों द्वारा पोर्टल पर उपलब्ध डाटा के माध्यम से सरकारी भूमि पर किये जाने वाले बैनामों पर रोक लगाई जा सकेगी। पोर्टल पर उपलब्ध समस्त डाटा का स्वामित्व, नियंत्रण, प्रबन्धन तथा सुरक्षा जिला प्रशासन के द्वारा किया जायेगा। पोर्टल पर उपलब्ध डाटा की कोई वैधानिक मान्यता नही होगी तथा उसका प्रयोग किसी भी न्यायालय में विधिक कार्यवाही हेतु नही किया जायेगा।
भविष्य में पोर्टल पर निजी भूमियों के सम्बन्ध में चलने वाले विवादों का विवरण भी जन सामान्य के लिये उपलब्ध कराया जायेगा। जिससे भविष्य में कानून व्यवस्था बनी रहे समस्त डाटा को भारत सरकार के MeghRaj Cloud पर HOST किया जायेगा। इस अवसर पर सचिव एमडीए महेन्द्र प्रसाद, अपर जिलाधिकारी वि0/रा0 आलोक कुमार, अपर जिलाधिकारी प्रशासन अमित सिंह, नगर मजिस्ट्रेट अभिषेक सिंह सहित अन्य अधिकारीगण मौजूद रहे।