भारतीय बाल रोग अकादमी द्वारा मेडिकोलीगल कार्यशाला का हुआ आयोजन
खबर वाणी संवाददाता
कानपुर। भारतीय बाल रोग अकादमी द्वारा शनिवार को आईएपी मेडिको लीगल चैप्टर के तत्वावधान में एक मेडिकोलीगल कार्यशाला का आयोजन एलटी-1 मेडिकल कालेज में हुआ। कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि मेडिकल कॉलेज प्राचार्य डॉक्टर संजय काला, उपप्रधानाचार्य डॉ रिचागिरी, आई ए पी मेडिकोलीगल चैप्टर के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ जे के गुप्ता, डॉ यशवंत राव द्वारा दीप प्रज्जवलित कर किया गया।
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता आई ए पी मेडिकोलीगल चैप्टर के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉक्टर जे. के. गुप्ता ने अपने संबोधन ने कहा कि चिकित्सा व्यवसाय में कानूनी अड़चनें एवं डॉक्टरों और अस्पतालों पर मुकदमें लगातार बढ़ते जा रहे हैं डॉक्टरों पर उपभोक्ता फोरम के अलावा क्रिमिनल मुकदमें दर्ज हो रहे हैं जिससे चिकित्सा जगत आहत है इलाज के दौरान मरीज की स्थिति बिगड़ने या मृत्यु होने पर डॉक्टरों पर क्रिमिनल केस दर्ज होने और गिरफ्तारी को रोकने हेतु सुप्रीम कोर्ट ने जैकब मैथ्यूज बनाम पंजाब राज्य, मार्टिन डिसूजा बनाम मो अशफाक, लतिका कुमारी बनाम उत्तर प्रदेश राज्य, कुसुम शर्मा बनाम बत्रा हॉस्पिटल के केस में स्पष्ट गाइडलाइन जारी की हैं जो इस प्रकार हैं केवल घोर चिकित्सकीय लापरवाही के मामलों में ही डॉक्टरों पर क्रिमिनल मुकदमा दर्ज हो, क्रिमिनल चिकित्सकीय लापरवाही के मुकदमें पुलिस द्वारा प्रारंभिक जांच के बाद ही दर्ज हों।
क्रिमिनल चिकित्सकीय लापरवाह के मामलों में सीएमओ द्वारा बोर्ड की जांच अनिवार्य हो एवं दोषी पाए जाने पर ही क्रिमिनल मुकदमा चले, डॉक्टरों की अनावश्यक गिरफ्तारी न हो, विवेचक विवेचना से पूर्व अन्य उसी विधा के चिकित्सक की लिखित राय अनिवार्य रूप से ले, इलाज के दौरान मृत्यु होने पर गैर-इरादतन हत्या की धारा में मुकदमा दर्ज करने की जगह लापरवाही से मृत्यु की धारा में ही मुकदमा दर्ज हो।
सुप्रीम कोर्ट ने मार्टिन डिसूजा केस में डॉक्टरों की अनावश्यक गिरफ्तारी पर पुलिस के खिलाफ कार्यवाही किए जाने की चेतावनी जारी की है सुप्रीम कोर्ट की उपरोक्त गाइडलाइन का अनुपालन न होने की वजह से पिछले वर्ष राजस्थान की स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ अर्चना शर्मा गैर-इरादतन हत्या की धारा में मुकदमा दर्ज होने पर आत्महत्या कर ली थी इस तरह की दुखद घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं।