खबरवाणी EXCLUSIVE : फादर्स डे पर पुलिस अधिकारियों ने पिता को किया याद, बोलें पिता का स्थान सर्वश्रेष्ठ
समीर मलिक
गाजियाबाद : अगर मां जीवन की सच्चाई है, तो पिता जीवन का आधार है. मां बिना जीवन अधुरा है, तो पिता बिना अस्तित्व अधुरा है। हरेक शख्स की जिंदगी में मां बहुत महत्व रखती है, लेकिन हर इंसान के जीवन में पिता का भी अपना एक बेहद खास महत्व है। भले ही पिता अपने बच्चे के सामने प्यार का इजहार न कर पाते हो लेकिन पिता ही हर पल साये की तरह अपने बच्चे के पीछे खड़े होकर उनको सहारा देते हैं। पिता ही वो इंसान है जो ऊपर से बेहद सख्त और अंदर से बिल्कुल नरम होते है. देशभर में 21 जून (आज) हर कोई अपने अपने अंदाज से फादर्स डे बना रहा है। लेकिन इन सब त्योहारों की सबसे ज्यादा मार हमारे देश के कर्मवीर, कर्मयोद्धा पुलिसकर्मियों पर पड़ती है। जो आम जनता की हिफाजत के लिए अपने घर से दूर रहते हैं। फादर्स डे के इस मौके पर गाजियाबाद के कुछ पुलिस अधिकारियों ने अपने पिता को याद किया और बताया कि पिताजी हमारी जिंदगी में सर्वश्रेष्ठ हैं। उनके जैसा कोई नहीं है।
गाजियाबाद के एसपी सिटी मनीष मिश्रा ने पिता को याद करते हुए कहा कि आज मैं जो कुछ भी हूं, पिताजी की बदौलत हूं। यह सच है कि मुझे जन्म मेरी मां ने दिया लेकिन मेरी इस जिंदगी के पेड़ की सिंचाई मेरे पिताजी ने की। मेरे पिताजी बचपन से ही चाहते थे कि मैं एक पुलिस अधिकारी बनकर लोगों की सेवा करुं। अपनी इस जिंदगी को देश की आमजन के लिए समर्पित कर दूं। मनीष मिश्रा ने कहा
“पिता का रुतबा सबसे ऊंचा रब के रूप के समान है, पिता की अंगुली थाम के चले तो हर रास्ता भी आसान है”
मनीष मिश्रा कहते हैं कि बच्चा चाहे कितना भी बड़ा हो जाए लेकिन उसको अपने पिता के मार्गदर्शन पर ही चलना चाहिए, इससे जिंदगी के अंधकारमय भरे रास्ते में भटकने का खतरा कम रहता है। मनीष मिश्रा ने सभी को फादर्स डे की हार्दिक शुभकामनाएं भी दी।
2015 बैच के आईपीएस अफसर नीरज जादौन से जब उनके पिता के बारे में बात की गई तो वह भावुक हो उठे। चंद सेकेंड बाद भावुकता भरे गुस्से में बोले, मैं पिताजी के साथ घटी घटना के उस पल को याद नहीं करना चाहता। इसके बाद नीरज आगे बताते हैं। मैं किसान परिवार से हूं। मेरे पिताजी किसान थे। खेती करते थे, साल 2008 में जब पिताजी खेत में खेती करने गए तो गांव के ही कुछ लोगों ने जमीनी विवाद के चलते उनका कत्ल कर दिया। इसके बाद फिर नीरज जादौन भावुक हो गए और उनका गला भरने लगा। नीरज ने बताया कि घर में पांच बहन भाई हैं। सबसे बड़ा में हूं लिहाजा उस वक्त घर की सारी जिम्मेदारी मेरे ऊपर आ गई थी। पिताजी के जाने के बाद मां, बहन उपासना और भाई पंकज, रोहित व राहुल को दादा कम्मोद सिंह जादौन के पास भेज दिया। उसके बाद वह पिताजी की हत्या के लिए कोर्ट कचहरी के चक्कर लगाते रहें। उस बीच पुलिस का रवैया देख नीरज बेहद दुखी हुए और उन्होंने आईपीएस अधिकारी बनने की ठानी। उसके बाद आखिरकार साल 2015 में यूपी कैडर से नीरज आईपीएस अधिकारी बन गए और वर्तमान में नीरज गाजियाबाद के एसपी ग्रामीण के पद पर तैनात हैं।
गाजियाबाद में सीओ सेकेंड के पद पर तैनात अवनीश कुमार बताते हैं कि बचपन में मेरे पिताजी की मृत्यु हो गई थी। मेरी देखरेख, पालन पोषण, अच्छा बुरा सब मेरे चाचाजी ने किया। आज मैं जो कुछ भी हूं, जैसा भी हूं उसका श्रेय सिर्फ और सिर्फ मेरे चाचा को जाता है। पिता के स्वर्गवास होने के बावजूद भी चाचा ने कभी यह महसूस नहीं होने दिया कि पिताजी अब इस दुनिया में नहीं है। उन्होंने मेरे लिए वह सब कुछ किया जो एक पिता करते हैं। पिताजी के जाने के बाद मेरी उस अंधकार भरी जिंदगी में मेरे चाचा रोशनी की किरण बनकर आए और उन्होंने मेरी जिंदगी में उजाला ही उजाला कर दिया।
इंदिरापुरम सीओ अंशु जैन कहती हैं। मेरे पिताजी मेरी जिंदगी में प्रेरणादायक बनें। एक महिला होने के नाते पिताजी ने हमें कभी किसी काम को लेकर रोक-टोक नहीं की। उन्होंने हमारी खुशियों को ही अपनी खुशियां बना लिया। जिसमें मैं खुश रहती उसी में वह भी खुश हो जाते। शायद यही वजह रही कि आज मैं पिताजी की उस प्रेरणा के चलते यहां तक पहुंच सकी हूं। इसके आगे अंशु बताती हैं जब मैं छोटी थी तब पिताजी को बहुत तंग किया करती थी। पिताजी मुझे बार-बार डांटते और फिर चुप हो जाते थे। पिताजी को मुझसे उम्मीद भी बहुत थी। लिहाजा उन्होंने हर परिस्थितियों में मेरा समर्थन किया।
गाजियाबाद में सीओ सिटी पद पर तैनात राकेश मिश्रा बताते हैं कि उनके पिताजी किसान हैं, उनकी स्कूलिंग भी कम हुई थी। किसान परिवार से होने के चलते घर की आर्थिक स्थिति भी कुछ ज्यादा मजबूत नहीं थी। बावजूद इसके पिताजी ने शिक्षा का महत्व समझा और मुझे पढ़ने के लिए प्रेरित किया। घर की आर्थिक स्थिति कमजोर होने के बावजूद उन्होंने मेरी पढ़ाई के दरमियान होने वाले खर्च में भी कभी यह महसूस नहीं होने दिया कि घर के हालात तंग है। उनकी उस प्रेरणा के चलते मैं पीएचडी करने में सफल रहा। उसके बाद घर के हालात थोड़े मजबूत हो गए। तब मैंने पुलिस की तैयारी शुरू की और आज मैं जो कुछ भी हूं, पिताजी के आशीर्वाद की वजह से हूं। इसके बाद राकेश कुमार मिश्रा पिताजी के लिए शायराना अंदाज में कहते हैं
“असमंजस के पलों में अपना विश्वास दिलाया,
ऐसे पिता के प्यार से बड़ा कोई प्यार ना पाया”
गाजियाबाद में सीओ मसूरी पद पर तैनात धर्मेंद्र सिंह चौहान ने कहा, हर किसी की जिंदगी में माता पिता का संपूर्ण योगदान होता हैं। फिर चाहे वह भावनात्मक, प्रेरणादायक या फिर उनकी डांट के रूप में ही क्यों ना हो। इसके आगे धर्मेंद्र चौहान कहते हैं बच्चा जब बुलंदियों की सीढ़ियों से गिरता हुआ या फिर जिंदगी के रास्ते में भटकता हुआ नजर आता है, तो उस समय एक पिता ही होते है जो उस बच्चे को सही दिशा का मार्गदर्शन दिखाते है।
प्रभात कुमार, सीओ मोदीनगर कहते हैं। इंसान की जिंदगी में पिता एक ऐसे इंसान हैं, जो जिंदगी के हर डगर पर अपने बच्चों के साथ खड़े रहते हैं। मुझे आज भी याद है, पिताजी ने कठिनाई भरी परिस्थितियों में भी मेरा पालन पोषण किया और हमें जरा भी परेशानी महसूस नहीं होने दी। आई लव यू पापा