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जामिआ अशरफुल मदारिस गद्दियाना में किया गया जश्ने तकमीले क़ुरान का एहतिमाम

खबर वाणी संवाददाता 

कानपुर। कुरान मजीद पैगम्बरे इस्लाम का सब से बड़ा मोअजज़ा है उस का एक एक लफ्ज़ इंसान को अल्लाह की बंदगी पर उभारता है इस वक़्त उम्मत के अक्सर मसाइल की बुनयादी वजह क़ुरान से दूरी और उसके अहकाम को फ़रामोश करना है कुरान एक कानून की किताब है उस में दुनिया और आखिरत के हर मसाइल का हल मौजूद है लिहाज़ा हमें उस की तिलावत के साथ उस के अहकाम पर अमल करने की खास ज़रुरत है।

यह बयान जामिया के सरबराह मौलाना मो.हाशिम अशरफ़ी इमाम ईदगाह गद्दियाना की सदारत में मुफ़्ती साक़िब अदीब मिस्बाही क़ाज़ी ए शहर कानपुर ने जामिया के खदीजतुल कुबरा हाल में जामिया अशरफुल मदारिस गद्दियाना में 18 फ़रवरी को आयोजित होने वाली अशरफुल अम्बिया कॉन्फ्रेंस व जलसा-ए दस्तारे फ़ज़ीलत के पहले प्रोग्राम जशने लक्मील-ए-हिफज़े कुरआन में किया उन्होंने कहा कि कुरआन अल्लाह का कलाम है हिदायत व रहमत का सरचश्मा है कयामत तक आने वाली नस्लें कुरआन से हिदायत हासिल करती रहेंगी कुरआन बन्दे को रब तक पहुचाने का रास्ता है हुजुर अलैहिस्सलाम ने इरशाद फरमाया कि कुरआन अल्ल्लाह की लटकती हुई रस्सी है।

जिस का एक सिरा तुम्हारे हाथ में और दुसरा सिरा तुम्हारे रब के दस्ते कुदरत में है इस से पहले और भी आसमानी किताबें उतरीं लेकिन लोगों ने उस में घटा बढ़ा दिया लेकिन कुरआन इन सब से महफूज़ है इस लिए कि इस की हिफाज़त की ज़िम्मेदारी अल्ल्लाह तआला ने अपने जिम्मे करम में ली है इस की हिफाज़त का अहम् जरिया हुफ्फाज़े कुरआन भी हैं जिनके सीनों में 30 पारे महफूज़ हैं।

इस से पहले महफ़िल का आगाज़ कारी मोहम्मद अहमद अशरफी ने तिलावत-ए कुरआन मजीद से किया, संचालन हाफिज मो.अरशद अशरफी ने किया उस के बाद हाफिज मुश्ताक अशरफी,हाफिज नदीम अख्तर,अजरत अली,ज़की अनवर ने नातिया कलाम पेश किया और महमान-ए-खुसूसी की हैसियत से तशरीफ़ लाए क़ाज़ी ए शहर साहब का हार व फूल से शानदार इस्तिक्बाल किया गया।

उन्होंने ने फारेगीन–ए हुफ्फाज़ को दुआए खत्म–ए कुरआन पढ़ा कर रस्म-ए तकमील-ए कुरआन अदा की और मुल्क की कामयाबी और अमन-ए आलम के लिए दुआ-ए-खैर कि गयीं छात्रों को दुआ से नवाज़ा महफ़िल का इख्तिताम सलातो सलाम पर हुआ इस मौके पर भारी तादाद में लोग मौजूद रहे ख़ास तौर से मौलाना फ़तेह मोहम्मद कादरी, मौलाना महमूद हस्सान अखतर, मौलाना शब्बीर आलम मिस्बाही,मौलाना कलीम अहमद, कारी आज़ाद अशरफी,हाफ़िज़ नियाज़ अशरफी, हाफिज मसऊद, मौलाना मोहसिन रज़ा, महताब आलम उर्फ गुड्डू आदि उपस्थित थे।

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