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नमामि गंगे अभियान का खुलेआम उड़ाया जा रहा मखौल, गंगा में दूषित पानी छोड़ जलीय जीव जंतुओं को भी मौत के गाल में समाया

नमामी गंगे अभियान से जुड़े नेताओं ने आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की कही बात तो वहीं प्रदूषण विभाग से जुड़े अधिकारियों/ कर्मचारियों ने भी गंगा जल के नमूने लेकर जाँच पड़ताल की कही बात

खबर वाणी संवाददाता

मुज़फ्फरनगर। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार द्वारा प्रदेश भर में नमामि गंगे अभियान चलाकर गंगाजल को साफ स्वच्छ और दूषित रहित बनाए जाने के लिए लाखों करोड़ों रुपए खर्च कर इस अभियान को गति देने के लिए अधीनस्थ अधिकारियों/ कर्मचारियों को दिशा निर्देश दिए हुए हैं लेकिन बात अगर मुजफ्फरनगर कि  की जाए तो यहां पौराणिक तीर्थ नगरी शुक्र तीर्थ गंगा घाट पर केमिकल युक्त पानी आने से जहां एक तरफ गंगा स्नान को आने वाले श्रद्धालुओं में भारी रोष बना हुआ है। तो वहीं जलीय जीव जंतुओं को भी इस केमिकल युक्त पानी से लगातार खतरा बनता जा रहा है, वहीं स्थानीय निवासियों की माने तो गत वर्षो पूर्व भी ऐसा ही एक मामला यहाँ गंगा में हो चूका है जिसमें उत्तराखंड से जहरीला पानी छोड़े जाने से जलीय जीव जन्तुओं की मौत भी हो चुकी है वहीं नमामि गंगे अभियान से जुड़े एवं जिला पंचायत अध्यक्ष डॉक्टर वीरपाल निर्वाल ने क्षेत्रीय प्रशासनिक अधिकारियों सहित प्रदूषण विभाग की टीम को बुलवाकर गंगाजल के नमूने लेकर जांच पड़ताल कराए जाने के दिशा निर्देश दिए हैं तो वही दोषियों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की भी बात कही है।

दरअसल पूरा मामला उत्तर प्रदेश के जनपद मुजफ्फरनगर की पौराणिक तीर्थनगरी शुक्रतीर्थ से जुड़ा हुआ है जहां आज गंगा में केमिकल युक्त काला पानी आ जाने से गंगा स्नान को आए श्रद्धालुओं में भारी रोष पनप गया। यहां गंगा स्वच्छता के दावे करने करने वाली सरकार की कथनी और करनी में उस वक्त पलीता लगता दिखाई दे रहा था जब गंगा स्नान को आए श्रद्धालुओं को काले पानी में ही नहाने को मजबूर होना पड़ा किसी ने मामले की सूचना नमामि गंगे से जुड़े एवं जिला पंचायत अध्यक्ष डॉक्टर वीरपाल निरवाल को भी दे दी।

प्रदेश सरकार द्वारा गंगा के लिये अलग से नमामि गंगे विभाग बनाकर लाखों – करोड़ो खर्च करने के बावजूद गंगा स्वच्छता अभियान कागज़ों तक सिमटा हुआ यहां साफ दिखाई दे रहा था। यहां गंगा को साफ करना तो दूर उसमें गन्दा पानी छोड़ने वालो तक पर कार्रवाई नही हो पा रही  जिसके चलते गंगा में गन्दगी छोड़ना लगातार जारी है स्थानीय लोगों की माने तो गंगा के दूषित होने से पर्यावरण और जलीय जीव जन्तुओं तक को खतरा उत्पन्न हो गया है।

बता दें प्रसिद्ध तीर्थ नगरी शुकतीर्थ में बह रही गंगा में आज  काला पानी आने से हड़कम्प मच गया। शुक्रवार की सुबह गंगा  में काला पानी को देख गंगा स्नान को आये श्रद्धालुओं ने गंगा में स्नान करना बंद कर दिया है। मामले की सूचना मिलते ही जिला पंचायत अध्यक्ष डॉक्टर वीरपाल निरवाल भी दल बल के साथ मौके पर जा पहुंचे और जिलाधिकारी सहित एसडीएम जानसठ को फोन से सूचना देकर  तत्काल कार्रवाई करने के निर्देश दिए।

वहीं उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की स्थानीय यूनिट टीम को भी गंगा घाट पहुंचकर पानी के सैम्पल भरवाये और जांच पड़ताल करने के दिशा निर्देश दिए। तीर्थ नगरी शुकतीर्थ में बह रही बाण गंगा में गत गुरुवार की शाम को अचानक उत्तराखंड हरिद्वार की ओर से काला पानी आने लगा जो शुक्रवार की सुबह दुकानदार व पुजारी घाट पर पहुंचे तो काला पानी देखकर दंग रह गए। यहां श्रद्धालुओं ने भी काला पानी देख स्नान करना बंद कर दिया है और अनेक श्रद्धालु गंगा में स्नान किए बगैर ही वापस लौट गए।

जिसके बाद तीर्थ नगरी के पंडित पुरोहित, दुकानदारों व साधु-संतों में रोष पनपता चला गया। गंगा सेवा समिति के महामंत्री महकार सिंह की सूचना पर जिला पंचायत अध्यक्ष डा. वीरपाल निर्वाल, भाजपा सांस्कृतिक प्रकोष्ठ के संयोजक रामकुमार शर्मा, मंडल अध्यक्ष डा. वीरपाल सहरावत आदि गंगा घाट पर पहुंचे।

यहां जिला पंचायत अध्यक्ष ने जिलाधिकारी मु0 नगर एंव एसडीएम जानसठ अभिषेक को फोन से अवगत कराते हुए तत्काल कार्रवाई करने के निर्देश दिए। वहीं उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की क्षेत्रीय इकाई टीम को भी मोके पर बुलवा लिया जिसमे टीम के सहायक पर्यावरण अभियंता इमरान अली, जूनियर रिसर्च फैलो मनीष कुमार व आलम सैफी ने गंगा घाट पर पहुंचकर तथा दोनों नदियों के संगम नाकों  पर जाकर सोलानी नदी व बाण गंगा से पानी सैम्पल लिए।

स्थानीय निवासियों की माने तो यहां पूर्व में भी कई बार आ चुका चुका है केमिकल युक्त गन्दा पानी जिससे पर्यावरण दूषित होने के साथ ही जलीय जीव जंतुओं की भी यहां मौत हो चुकी है। गंगा में कैमिकल युक्त पानी आना कोई नई बात नही है पूर्व में भी कई बार दूषित केमिकल युक्त पानी आ जाने से जलीय जीव जंतु मरते रहे हैं।

बता दें 22 अक्तूबर 2018 को भी गंगा में दूषित पानी आने से थाना भोपा पर मुकदमा दर्ज कराया गया था शुक्रवार को भी गंगा समिति के सचिव डॉक्टर महकार सिंह द्वारा दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग को लेकर तहरीर दी गयी है।2018 में लक्सर स्थित डिस्टलरी फैक्टरी के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था फ़िलहाल भी उत्तराखंड राज्य में स्थित कई फैक्टरियों द्वारा केमिकल युक्त गन्दा पानी छोड़े जाने की चर्चा जारी है।

कौन है गंगा को दूषित करने की साजिश करने वाले आखिर क्यों नही होती सख्त कार्यवाही?

धार्मिक आस्था के केन्द्र गंगा मैया को दूषित कर आस्था पर प्रहार करने वाले आखिर वे कौन लोग है?कौन हैं वह षडयंत्रकारी जो मां गंगा में ज़हर घोल कर बड़ी त्रासदी को निमंत्रण दे रहे हैं?  पर्यावरण को गम्भीर नुकसान पहुंचाने वालों पर कड़ी कार्रवाई से प्रशासन अभी आखिर क्यों दूर है?।।

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